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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2647
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।

सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. समाज मनोविज्ञान के अध्ययन की सहसम्बन्धात्मक विधि का वर्णन कीजिए।
2. समाज मनोविज्ञान के अध्ययन की क्षेत्र अध्ययन विधि का वर्णन कीजिए।
3. किसी चर में बिना जोड़-तोड़ किये चरों के मध्य सम्बन्धों का अध्ययन करने की उत्तम विधि कौन-सी है? व्याख्या कीजिए।
4. किस प्रकार की सामाजिक समस्याओं के अध्ययन के लिये क्षेत्र अध्ययन विधि का उपयोग किया जाता है? इसके गुण और दोषों पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर -

समाज मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Social Psychology)

• मनुष्य जन्म से जिज्ञासु होता है। इस कारण मनुष्य व्यवहार और व्यवहार के विभिन्न स्वरूपों को जानने व समझने का प्रयास करता है। प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न प्रकार का व्यवहार करता है। इसी व्यवहार के 'क्यों' 'कैसे' और 'किस लिए' को समझने का प्रयास ही समाज मनोविज्ञान करता है।

• समाज मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत सामाजिक समस्याओं, सामाजिक व्यवहार तथा मनुष्य की सामाजिक अंतःक्रिया का क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक रूप सै अध्ययन किया जाता है।

• मनोविज्ञान की शाखा के रूप में समाज मनोविज्ञान का विस्तार तथा विकास मैक्डूगल की पुस्तक "Introduction to Social Psychology", 1908 के प्रकाशित होने के बाद तेजी से हुआ।

 


समाज मनोविज्ञान की परिभाषाएँ

किम्बल यंग (1961) के अनुसार - "समाज मनोविज्ञान व्यक्तियों की पारस्परिक प्रतिक्रिया का और इससे प्रभावित व्यक्ति के विचारों, संवेगो, तथा आदतों का अध्ययन है।"

फिशर (1982) के अनुसार - “समाज मनोविज्ञान को पारिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि किस प्रकार से व्यक्ति का व्यवहार सामाजिक वातावरण में उपस्थित दूसरे लोगों के द्वारा प्रभावित होता है, बदले में उस व्यक्ति का व्यवहार भी प्रभावित होता है।

फेल्डमैन (1985) के अनुसार - "समाज मनोविज्ञान वह विज्ञान है जिसमें यह अध्ययन किया जाता है कि एक व्यक्ति के विचार भावनाएं तथा क्रियाएं दूसरे व्यक्तियों द्वारा किस प्रकार प्रभावित होती हैं।"

बैरन तथा बाइरनी (2003) के अनुसार - "समाज मनोविज्ञान, वह विज्ञान है जो सामाजिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार की प्रकृति और कारणों के ज्ञान से सम्बन्धित होता है।

 

समाज मनोविज्ञान की अध्ययन विधियाँ
(Study Methods of Social Psychology)

समाज मनोविज्ञान की प्रमुख अध्ययन विधियाँ निम्नलिखित हैं-

1. सहसम्बन्धात्मक विधि (Correlational Method) - किसी चर में बिना जोड- तोड़ किये चरों के मध्य सम्बन्धों का अध्ययन करने की उत्तम विधि सहसम्बन्धात्मक विधि है। व्यवहार तथा उसके निर्धारकों के मध्य सम्बन्धं ज्ञात करने के लिए इस विधि का प्रचलन काफी अधिक है। इसमें चरों में जोड़-तोड़ नहीं करते हैं।

डि' अमैटो (D' Amato, 1970) के अनुसार, "सहसम्बन्धात्मक शोध में चुने गये परिवय को प्रत्यक्षतः (प्रायोगिक रूप में) प्रहस्तित नहीं किया जाता है अपितु चुने गये परिवर्त्यो को किसी भी चयन प्रक्रिया के आधार पर परिवर्तित किया जाता है ताकि उसमें तथा दूसरे परिवर्त्य में सहसम्बन्ध ज्ञात किया जा सके।

मैक्ग्यूगन ( Me Guigan, 1990) के अनुसार, “सहसम्बन्धात्मक शोध एक विशिष्ट प्रकार का अप्रायोगिक शोध है। यदि किसी चर को इच्छानुसार प्रहस्तित करना सम्भव नहीं है तो यह विधि उपयोगी पायी जाती है। इसमें दो प्राणीजन्य परिवयों के बीच सहसम्बन्ध ज्ञात करते हैं जैसे बुद्धि तथा समायोजन में सम्बन्ध ज्ञात करना अथवा चिन्ता एवं शैक्षिक उपलब्धि में सम्बन्ध ज्ञात करना। इस विधि में परीक्षार्थियों को बुद्धि स्तर या चिन्ता स्तर के आधार पर कई वर्गों में विभक्त करते हैं तथा उनके प्राप्तांकों को दूसरे चर से सम्बन्धित प्राप्तांकों के साथ सहसम्बन्धित करते हैं। स्पष्ट होता है कि इस विधि में निर्धारक या कारणात्मक कारकों में परिवर्तन चयन विधि के आधार पर करते हैं।"

सहसम्बन्ध धनात्मक अथवा नकारात्मक हो सकता है। यदि एक कारक में वृद्धि होने से दूसरे कारक में भी वृद्धि होती है तो इस प्रकार के सहसम्बन्ध को धनात्मक सहसम्बन्ध कहेंगे, जैसे उच्च बुद्धि होने पर समायोजन अच्छा होना। लेकिन यदि एक कारक में वृद्धि होने से दूसरे की मात्रा में कमी आती है तो इसे नकारात्मक सहसम्बन्ध कहेंगे, जैसे चिन्ता स्तर उच्च होने पर शैक्षिक उपलब्धि का स्तर घट जाना। यदि दो कारकों के बीच कोई सम्बन्ध नहीं है तो इसे शून्य सहसम्बन्ध कहेंगे।

2. क्षेत्र अध्ययन विधि (Field Study Method) - सामाजिक मनोविज्ञान एवं अन्य सामाजिक विज्ञानों में क्षेत्र अध्ययन विधि एक महत्वपूर्ण अध्ययन विधि मानी जाती है। इस विधि के द्वारा सामाजिक व्यवहार के वैज्ञानिक अध्ययन की सम्भावनाओं का तेजी के साथ विस्तार हुआ है। करलिंगर (1986) के अनुसार, “क्षेत्र अध्ययन ऐसे अप्रायोगिक वैज्ञानिक अन्वेषण हैं जिनका उद्देश्य वास्तविक सामाजिक परिस्थिति में समाजशास्त्रीय, मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षिक परिवयों के बीच सम्बन्धों तथा अन्तर्क्रिया का अध्ययन करना होता है।"

कैण्डलैण्ड (1968) के अनुसार, “प्राकृतिक परिवेश में उत्पन्न होने वाले व्यवहार का स्वाभाविक रूप में ज्यों का त्यों प्रेक्षण करना ही क्षेत्र अध्ययन है।

इस विधि से यह स्पष्ट होता है कि क्षेत्र अध्ययन से किसी घटना अथवा विशेषता का अध्ययन वास्तविक सामाजिक परिवेश में जाकर किया जाता है। इस विधि की गणना वस्तुनिष्ठ विधियों में की जाती है। इस विधि द्वारा स्वतंत्र परिवर्त्य का प्रत्यक्षतः प्रहस्तन नहीं किया जाता है, इस कारण इसे अप्रायोगिक विधि कहा जाता है। लेकिन मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग करके उत्तरदाताओं को योजनानुसार दो या दो से अधिक वर्गों में विभक्त करके व्यवहार के किसी आयाम पर उनकी तुलना सरलता से की जा सकती है।

.इस विधि के द्वारा किसी सामाजिक संगठन (जैसे- गाँव, शहर, फैक्ट्री, स्कूल अथवा अन्य प्रकार के संगठन) की आन्तरिक स्थिति तथा संरचना, लोगों की जीवन शैली एवं व्यवहार के निर्धारक आदि का अध्ययन किया जा सकता है। इस विधि का उपयोग विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा अपने अनुसंधानों के लिये किया गया है।

क्षेत्र अध्ययन विधि में क्षेत्र अध्ययन के लिए चुना गया प्रतिदर्श प्रतिनधि हो यह आवश्यक नहीं है। क्षेत्र अध्ययन विधि में हम किसी अकेली सामाजिक इकाई (जैसे कोई समुदाय, समूह संगठन) का, उसकी संरचना तथा उसके पक्षों के आन्तरिक सम्बन्धों का अध्ययन करते हैं।

क्षेत्र अध्ययन विधि द्वारा हम व्यवहार के कारणों का सूक्ष्मता के साथ अध्ययन कर सकते हैं, जैसे यह ज्ञात करना कि कर्मचारियों के मनोबल पर किन कारकों का प्रभाव पड़ रहा है? ऐसे क्षेत्र अध्ययनों का उद्देश्य किसी प्रस्तावित परिकल्पना की सत्यता-असत्यता की जाँच करना होता है, जैसे यह परिकल्पना बनाना कि ग्रामीण लोग अधिक रूढ़िवादी होते हैं। अध्ययन करके इस परिकल्पना को प्राप्त परिणाम के आधार पर स्वीकृत अथवा अस्वीकृत कर देते हैं।

क्षेत्र अध्ययनों का उद्देश्य परिस्थिति अथवा परिवेश की संरचना, विशेषता तथा विभिन्न कारकों में सम्बन्ध ज्ञात करना होता है।

क्षेत्र अध्ययन विधि के गुण-दोष
(Merits and Demerits of Field Study)

क्षेत्र अध्ययन विधि के गुण व दोष का वर्णन निम्न प्रकार है -

गुण (Merits) -

1. इस विधि से लोगों के बीच होने वाली अन्तर्क्रियाओं तथा उनके सम्बन्धों का प्रत्यक्ष प्रेक्षण करने का अवसर मिलता है।
2. इस तरह के विभिन्न व्यवहार जिनका अध्ययन प्रयोग विधि से नहीं किया जा सकता, उनका अध्ययन क्षेत्र अध्ययन विधि से सरलता से किया जा सकता है।
3. इस विधि के द्वारा लम्बे समय तक लगातार प्रेक्षण किया जाता है, इसलिए समस्या, घटना अथवा व्यवहार का गहन अध्ययन सम्भव हो जाता है।
4. अध्ययन का परिवेश वास्तविक होने के कारण सम्बन्धित घटना, व्यवहार या परिस्थिति के बारे में स्वाभाविक चित्र प्राप्त होते हैं।
5. इस विधि से यह लाभ होता है कि निष्कर्षों की पुष्टि कई तरह से की जा सकती है। जैसे यदि यह ज्ञात करना है कि क्या संगठनात्मक वातावरण मनोबल को प्रभावित करता है, तो . सभी वर्ग के कर्मचारियों में मनोबल का मापन करके प्रश्न का उत्तर दिया जा सकता है।

दोष (Demerits) -

क्षेत्र अध्ययन विधि के दोष निम्न प्रकार हैं-

1. इस विधि में अध्ययन का क्षेत्र सीमित होता है. अतः सामान्यीकरण करने में सतर्कता की आवश्यकता होती है।
2. इस विधि से यह समस्या अनुभव की जाती है कि उत्तरदाता लम्बी अवधि तक समान रूप से सक्रिय सहयोग नहीं करते हैं।
3. इस विधि से प्राप्त परिणाम अपेक्षाकृत कम परिशुद्ध तथा कम विश्वसनीय होते हैं।
4. इस विधि में कभी - कभी उत्तरदाता से अपेक्षा के अनुरूप सहयोग नहीं मिलता है, अतः समस्या के अध्ययन में कठिनाई आती है।
5. प्रायोगिक विधि की भांति इसमें विधिवत नियन्त्रण लागू नहीं होता है और न ही कारण को प्रहस्तित किया जा सकता है। परिणामस्वरूप, कारण- प्रभाव सम्बन्ध स्थापित कर पाना सम्भव नहीं हो पाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
  2. प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  3. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
  5. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
  6. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  7. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
  14. प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
  15. प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
  16. प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
  17. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
  18. प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
  20. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
  22. प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
  23. प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
  24. प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
  25. प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
  26. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
  28. प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
  29. प्रश्न- स्कीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
  30. प्रश्न- सामाजिक संज्ञानात्मक के तहत स्कीमा निर्धारण की प्रक्रिया कैसी होती है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- बर्नार्ड वीनर के गुणारोपण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- केली के सह परिवर्तन गुणारोपण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- क्या स्कीमा स्मृति को प्रभावित करता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  34. प्रश्न- क्या सामाजिक अनुभूति में सांस्कृतिक मतभेद पाए जाते हैं?
  35. प्रश्न- स्कीम्स (Schemes) तथा स्कीमा (Schema) में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- मनोवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसके घटकों को स्पष्ट करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- अभिवृत्ति निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के उपायों का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- मनोवृत्ति परिवर्तन में हाईडर के संतुलन सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  39. प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
  40. प्रश्न- मनोवृत्ति की परिभाषा दीजिए। क्या इसका मापन संभव है? अभिवृत्ति मापन की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
  42. प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
  48. प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
  49. प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
  50. प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  51. प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  57. प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  58. प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
  60. प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
  61. प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
  64. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
  66. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
  67. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
  69. प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
  71. प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
  72. प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
  73. प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
  76. प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
  83. प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
  85. प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
  88. प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
  90. प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
  91. प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।

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